कोरोना वायरस की वजह से देश के अंदर लॉकडाउन का चौथा चरण लागू हो गया हैं. लॉक डाउन की वजह से देश में सब कुछ बंद पड़ा हैं. फिर चाहे वो रेलवे हो फ्लाइट हो या पब्लिक ट्रांसपोर्ट हो. पिछले एक महीने से ट्रेन की सेवा पूरी तरह से बाधित हैं. अभी कुछ दिन पहले रेलवे ने ट्रेन श्रमिको के लिए चलाई थी. ताकि वो लोग जो अपने घर नहीं पहुँच पाए हैं उनको उनके गृह जनपद पहुँचाया जाये.

लॉक डाउन की वजह से देश के अंदर काफी नुकसान भी हुआ हैं. जिसको देखते हुए रेलवे अब जीरो बेस्ड टाइम टेबल बनाने जा रहा हैं. इस टाइम टेबल से रेलवे अपने डिब्बे, इंजन,क्रू और मेंटेनन्स डिपो का मैक्सिमम यूज़ किया जा सके. इसे एक और फायदा ये हो सकता हैं कि ट्रेन को उसके गन्तव तक कम से कम समय में पहुचाया जाये.

अपने देश के अंदर रेलवे का इतिहास सदियों पुराना हैं. अंग्रेजो के वक़्त से लेकर ट्रेन का टाइम टेबल भी वही हैं. इंडियन रेलवे ने जहाँ पर देखा टाइम टेबल में कहीं जगह खाली हैं. वहीँ पर नई ट्रेन को लगा दिया गया. अब जब ट्रेनों की मांग बढ़ी तब रेलवे ने ट्रेन तो बढाई लेकिन टाइम टेबल में कोई भी बदलाव नहीं किया उसी पुराने टाइम टेबल में उन नई ट्रेन को एडजस्ट कर दिया गया और ट्रेन उसी हिसाब से ट्रेन को पटरी पर दौड़ा दिया गया है.

ट्रेन लेट होने का कारण ये भी था कि पुरानी ट्रेन के उपर नई ट्रेन को प्रायोरिटी दी गई. जिसकी वजह से पुरानी ट्रेन पिटती चली गई. जिसको देखते हुए अब रेलवे ने जीरो बेस्ड टाइम टेबल पर विचार किया जा रहा हैं. टाइम टेबल हर साल 1 जुलाई से लागू होता हैं.

आपको बताते हैं कि जीरो बेस्ड टाइम टेबल क्या होता हैं. रेलवे अधिकारीयों का कहना है कि ‘टाइम टेबल बनाते वक्त मान लिया जाएगा कि अभी देश में कोई ट्रेन नहीं चल रही है और चार्ट शून्य है.’ उसके बाद ट्रेन की डिमांड और ट्रेन की उपलब्धता के हिसाब से आपरेशन रिसर्च ट्रांसपोर्टेशन अल्गोरिदम से इस तरह का टाइम टेबल सेट किया जाता है. ताकि हर ट्रेन तेजी से पटरी पर दौड़ सके और दूरी को कम समय में पूरा किया जा सके. इस टाइम टेबल के हिसाब से एक ट्रेन को दूसरी ट्रेन के लिए रोकना नहीं पड़ेगा. ताकि किसी ट्रेन को किसी के लिए रोकना न पड़े.