9 मार्च 1993 में ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना हुई. थी. जिसके 11 साल बाद ही पार्टी में बिखराव शुरू हो गया था. जिसकी वजह से पार्टी दो भागों में बात गयी. बता दें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना के समय में सैय्यद अली शाह गिलानी का अहम रोल था. इसके अलावा मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी लोन, मौलवी अब्बास अंसारी और अब्दुल गनी भट्ट भी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना में अहम सदस्य थे.

जिसके बाद जब हुर्रियत में बिखराब होने लगा तो मीरवाइज उमर फारूक और गिलानी गुट दोनों अलग हो गए. मीरवाइज के गुट को मॉडरेट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस कहा जाने लगा. जबकि गिलानी ने अपने संगठन तहरीक-ए हुर्रियत को कॉन्फ्रेंस का नाम दे दिया. जिस की स्थापना 7 अगस्त 2004 को हुई थी.
वही जिस हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन पद पर गिलानी थे. उसके पद से गिलानी ने इस्तीफा दे दिया है. बात दें ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस अपनी स्थापना से ही कश्मीर की आज़ादी के लिए काम करता रहा है. इसके अलावा गिलानी की उम्र 90 साल है और अगस्त 1962 में 30 साल की उम्र में पहली बार गिलानी को जेल हुई थी.

साथ ही जेल में रहने के दौरान ही उनके पिता का निध’न हो गया था. इसके अलावा गिलानी के पाकिस्तान से खुफिया रिश्ते होने की वजह से जेल हो चुकी है. 1972 में गिलानी ने जमात-ए इस्लामी जम्मू-कश्मीर के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीता था. हालाँकि गिलानी लंबे समय से अपने घर में ही नजरबंद हैं.
जाहिर है गिलानी के इस्तीफे देने के बाद से ही ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में चेयरमैन पद को लेकर चर्चाये बढ़ने लगी है.